Nepotism; - a curse, a disease
Nepotism is one of the most heard words in today's time, which many people may have known or perhaps heard for the first time. Today I have come here to talk about this word, what is this word, where it has come from or how much effect it can have in one's life.
If I can
say something about Nepotism, I can say that even though this word is being
heard today, this word has been prevalent in India since long. Call it good or
bad now, but this word cannot be avoided anywhere. It is a long way to be
ignored like this.
With this
word resonating in the society again today, it can be said that it has become
such a disease in our society that no cure is possible.
Today
this word has become so much exposed due to an incident in the film world, but
once you turn your eyes around, see this word you will see everywhere.
Whether
it is in politics, in a big organization, in the sports world or in any region,
you will have to face this disease or you will definitely see this disease.
That is why the question keeps coming in the mind of every sensible person that
whether we cannot live without this disease in this society or it is most
important for the society to have this disease.
In India,
this word is also born because of our society, because in an Indian family, the
thinking remains that their children should start from where their parents
left. As you might have seen, an engineer's son, an engineer, a doctor's son, a
doctor or a businessman's son carry on his father's business, and a
politician's son enters politics and becomes a politician.
So in
this case you can see where and why this word came from. So to get a life like
parents, we resort to this nepotism somewhere .Because the reason is that not
all children can be like their parents. Or they may be so qualified as to be impossible
for their parents. And not every child
wants to do what everyone in his family has been doing.
But in
most of the cases, the people of the society, the family force the children to
do what was happening or because of which there is a respect in their society
today. And the children also succumb to family and social pressure. And they
are ready to do work in which they have little mind, and in my eyes, nepotism
is also born from here.
From the
parents' point of view, they are worried about their child's future and that is
why they want to create a level for them that their children do not have any
problem at all. And for this reason, he wants that the area where I am and all
is good for me, so my child should do the same and be like a king, not that he
has to work hard in his life.
But there
are also those who want to have a comfortable life, that their parents or any
of their brothers or uncles should make way for them so that they can succeed
easily tomorrow and can enjoy their life comfortably.
But if
you look at your life and the lives of the people around you, you will find
that surprisingly the root cause of nepotism is the social pressure prevalent
in India which everyone experiences.
Every
child in India gets the job of furthering his parents' name, and has to show it
better than them. For this reason, the pressure on them is also very high
because people now compare them with their parents to test how much better they
are, and at the same time parents are also sure that their children actually
show better than them.
In India,
the lives of parents and their children are always interlinked. And they are
also compared. Other people also assess the lives of children and their parents
on the basis of this perspective.
If a
child wants to do something different or is thinking differently from the
family, then not only the family members point fingers at his decision but the
people of the society do not miss to question the future of the child.
And here,
if I do any other country, then, there children become completely independent
and self-sufficient by the time they go to college, what they have to do and
what to become is their own decision. But the situation in India is precisely
its reverse.
And this behaviour is not only done on behalf of the older generation, but it also gives a lot of
boost to the present generation as nepotism makes things much easier for
everyone and it also silences the people of the society. The same reputation
remains as it was before.
But until
this attitude does not change, there will always be a lack of talented people
in many areas in India. Because in this nepotism, it is not necessary to give
them even a chance, and they are mocked everywhere else.
As long
as the parents and their children, uncles, nephews and society do not reject
this nepotism and do not honor a talent, there cannot be much change in the
vision of the best people of India. And many hidden talent will have to be
hidden because no talent will be able to come before the people due to fear of
this nepotism.
So I just
said that I do not say that nepotism is right, but in some places it can be
seen in a very ugly way where nothing is going to happen to you or me without
nepotism.
It is
very important to cure the disease of this nepotism spread in the society,
otherwise a perfect person is not able to create a place anywhere for which he
is entitled alone and due to this, due to repeated defeats, he becomes a victim
of depression. And sometimes he can take wrong steps.
So, support
the real talent not to nepotism.
नेपोटिस्म ;- एक अभिशाप , एक बीमारी
नेपोटिस्म आज आज के
समय में सबसे ज्यादा सुनायी देने वाला एक शब्द है जिसका अर्थ बहुत लोग जानते होंगे
या शायद पहली बार सुनने में आया होगा। आज मैं
यहाँ बात इसी शब्द के बारे में करने आया हूँ , क्या है ये शब्द , कहाँ से आया है या इसका
प्रभाव इतना ज्यादा कैसे किसी के जीवन में
पड़ सकता है।
नेपोटिस्म के बारे में कहूं कुछ अगर तो ऐसा कह सकता हूँ , की ये शब्द भले ही
आज इतना सुनने में आ रहा है लेकिन ये शब्द भारत में बहुत पहले से चला आ रहा है। इसे
अब अच्छा कहुँ या बुरा लेकिन इस शब्द से बचा नहीं जा सकता है कहीं भी। ऐसे अनदेखा करना
तो बहुत दूर की बात है।
इस शब्द के आज दुबारा समाज में गूंजने से ऐसा कहा जा सकता है
की ये हमारे समाज की एक ऐसी बीमारी बन चुकी है जिसका कोई इलाज शायद मुमकिन नहीं है।
आज ये शब्द फिल्म जगत में हुई एक घटना की वजह से इतना उजागर
हुआ है लेकिन एक बार अपने चारों ओर नजरें घुमा के देखिये ये शब्द आपको हर जगह मौजूद
दिखेगा।
चाहे वो राजनीति में हो , किसी बड़े संघठन में , खेल जगत में या किसी
भी छेत्र में आपको इस बीमारी का सामना करना पड़ेगा या आपको ये बीमारी जरूर दिखाई देगी।
इसी वजह से हर समझदार इंसान के दिमाग में यह सवाल जरूर आता रहता है की क्या हम इस समाज
में इस बीमारी के बिना रह नहीं सकते या समाज के लिए इस बीमारी का होना सबसे अधिक महत्वपूर्ण
है।
भारत में इस शब्द का जन्म भी हमारे समाज के वजह से ही हुआ है , ऐसा इसलिए क्यूंकि
एक भारतीय परिवार में ये सोच बनी हुई रहती है की उनके बच्चे भी वहीं से शुरू करें जहाँ
से उनके माता - पिता ने छोड़ा था। जैसे की आपने देखा होगा की एक इंजीनियर का बेटा इंजीनियर
, एक डॉक्टर का बेटा
डॉक्टर या किसी व्यापारी का बेटा अपने पिता के व्यापार को आगे बढ़ाता है और एक राजनितज्ञ
का बेटा राजनीति में ही आता है और एक राजनीतिज्ञ बनता है।
तो ऐसे में आप ये देख सकते हैं की ये शब्द कहाँ से और क्यूँ
आया है। तो माता - पिता के जैसे जीवन पाने
के लिए हम इसी नेपोटिस्म का सहारा लेते है कहीं न कहीं।
क्यूंकि इसकी वजह ये है की सभी बच्चे अपने माता - पिता के जैसे नहीं हो सकते हैं या वो इतना योग्य हों जितना उनके माता -
पिता ये संभव नहीं हो सकता है , और हर बच्चा ये नहीं
चाहता की वो वही करे जो उसके परिवार में सब करते आ रहे हों।
लेकिन ज्यादातर स्तिथियों में समाज , परिवार के लोग बच्चों
को वही करने पे विवश कर देते हैं जो होता आ रहा था या जिसकी वजह से आज उनकी समाज में
एक इज्जत बनी हुई है।और बच्चे भी पारिवारिक और सामाजिक दबाव के आगे घुटने टेक देते
हैं और वो काम करने को तैयार हो जाते हैं जिनमे
थोड़ा भी मन नहीं होता है उनका , और मेरी नजर में यहीं से नेपोटिस्म का जन्म भी होता है।
पेरेंट्स के नजरिये से देखा जाए तो उन्हें अपने बच्चे के भविष्य
की चिंता होती है और इसलिए ही वो उनके लिए एक ऐसा स्तर तैयार करना चाहते है जिससे उनके
बच्चों को कोई तकलीफ ना हो कभी। और इसी वजह
से वो चाहते हैं की जिस छेत्र में मैं हूँ और अच्छा है सब मेरे लिए तो मेरा बच्चा भी
वही करे
और एक राजा की तरह रहे , ना की उसे अपनी जिंदगी
में मेहनत और धक्के खाने पड़े।
लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो अपने आरामदायक जीवन के लिए चाहते
भी यही हैं की उनके माता - पिता या उनका कोई
भाई या चाचा उनके लिए रास्ता बना कर देदें जिससे वो कल आसानी से कामयाब हो जाएँ और
आराम से अपने जीवन का मजा ले सकें।
लेकिन अगर आप अपने जीवन और अपने आस पास के लोगों के जीवन पर
गौर करें तो पाएंगे की आश्चर्यजनक रूप से नेपोटिस्म का मूल कारण भारत में प्रचलित सामाजिक दबाव है जिसका प्रत्येक
व्यक्ति अनुभव करता है।
भारत में प्रत्येक बच्चे को अपने माता - पिता के नाम को आगे
बढ़ाने का काम मिलता है , और उसे उनसे बेहतर
करके दिखाना होता है। इसी वजह से उनके ऊपर दबाव भी बहुत ज्यादा होता है क्यूंकि लोग
उन्हें अब उनके पेरेंट्स से तुलना करके परखते हैं कि वो कितना बेहतर है , इसके साथ ही माता
- पिता को यह भी सुनिश्चित है की उनके बच्चे
वास्तव में उनसे बेहतर करके दिखाएँ।
भारत में माता - पिता और उनके बच्चों के जीवन आपस में हमेशा
ही जुड़े हुए होते हैं। और उनकी तुलना भी की जाती है। दूसरे लोग भी इसी नजरिये के आधार
पे बच्चों और उनके माता - पिता के जीवन का आकलन करते है।
अगर कोई बच्चा कुछ अलग करना चाहता हो या या परिवार से अलग सोच
भी रखता हो तो न केवल परिवार के लोग ही उसके फैसले पर उंगलियां उठाते है बल्कि समाज
के लोग बच्चे के भविष्य पर सवाल खड़े करने से नहीं चूकते हैं।
और यहीं किसी और देश की करूं तो वहाँ बच्चे अपनी कॉलेज़ जाने
की उम्र तक पूरी तरह से स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बन जाते है , उन्हें क्या करना
होता है और क्या बनना है ये उनका खुद का फैसला होता है। लेकिन भारत में स्थिति ठीक
इसकी उल्टी होती है।
और ऐसा बर्ताव ना केवल पुरानी पीढ़ी की ओर से किया जाता है वरन
इसे वर्तमान पीढ़ी भी खूब बढ़ावा देती है क्यूंकि नेपोटिस्म से सभी के लिए के लिए बहुत कुछ आसान हो जाता है और इससे समाज के
लोग भी चुप हो जाते हैं।और परिवार की वही प्रतिष्ठा बनी रहती है जो पहले से बनी हुई है।
पर जब तक यह रवैया नहीं बदलता है भारत में बहुत से छेत्रों में
हमेशा ही प्रतिभावान व्यक्ति की कमी देखी जाती रहेगी। क्यूंकि इस नेपोटिस्म में उनको
मौका तक देना कोई जरूरी नहीं समझता है और तो और उनका हर जगह मजाक बनाया जाता है।
जब तक माता - पिता और उनके बच्चे , चाचा , भतीजा और समाज सभी
मिलकर इस नेपोटिस्म को नकारते नहीं है और एक प्रतिभा को सम्मान नहीं देते हैं तब तक
भारत के श्रेष्ठ लोगों के द्र्श्य में बहुत अधिक बदलाव नहीं देखा जा सकता है। और बहुत
सारी छिपी प्रतिभा को छिपा ही रहना पड़ेगा क्यूंकि इस नेपोटिस्म के डर से कोई भी प्रतिभा
लोगों के सामने नहीं आ पाएगी।
तो बस मेरा कहना यहाँ तक था की में ये नहीं कहता की नेपोटिस्म
सही है , लेकिन कुछ जगह ये
बहुत ही भद्दी तरह से देखा जा सकता है जहाँ बिना किसी नेपोटिस्म के आपका या मेरा कुछ
भी नहीं होने वाला है।
समाज में फैले इस नेपोटिस्म के बीमारी को दुर करना बहुत जरूरी
है , वरना एक सही इन्सान
अपनी जगह कहीं भी नहीं बना पाता है जहाँ के लिए वो अकेला हक़दार होता है और इसी वजह
से बार बार हारने के कारण वो डिप्रेशन का शिकार हो जाता है और कभी कभी वो गलत कदम भी
उठा सकता है।
इसलिए, नेपोटिस्म को नहीं, असली प्रतिभा का समर्थन
करें।
when you like it then please comment and share to other.
ReplyDeleteand you want to write for you then also contact to me here .
Very true ..
ReplyDeleteJruri ni hota h ki jo business parent ka h wahi baccha bii kre .. parents ko baccho ki fikr hoti h lekin iska mtlv ye to ni n ki us pr apne kaam ko jabardasti krne ko majboor kiya jaye ..isi jabardasti se bacche ko ye lgta h ki m life m kuch kr ni skta jiske chlte baccha nepotism ka shikar to hua hi h ..saath m depression ka bii ho jata h ..jisme vah kuch bii glt kdm ya action le skta h.
Hume bacche ko samjhna chaiye aur uska saath dena chaiye jisme vah khud ko nikhar skta h bahut acche way m.
Ur articles is very helpfull to show current scenario of our society. Keep it up dear ....👍👍